मगर शायद
मगर शायद
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खत्म होने को है सफर शायद
फिर मिलेंगे कभी ,मगर शायद....
लिख के रख लिये हैं अपने एहसास
कह देंगे तुमसे भी कभी मगर शायद
वो मुझे पसंद हैं मैं उसे कह भी दूँ
मै भी उसे पसंद हूँ वो भी हाँ ही कहे शायद.....मगर शायद
मै गुजर जाना चाहता हूँ गुजरे जमाने से मैं गुजर भी जाऊंगा... मगर शायद
मै मजबूर हूँ जो इजहार कर न सकूँगा
मै अपने उसूलों को दरकिनार कर न सकूँगा
हो सकता है तुम्हें मेरी मजबूरी हो मालूम.....मगर शायद।
