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मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ पर जिन्दा क्यूं नहीं होता, मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ पर जिन्दा क्यूं नहीं होता,
मेरा तो जीने में दम घुटता है मेरा सवाल है कि मरने से क्या होगा...!! मेरा तो जीने में दम घुटता है मेरा सवाल है कि मरने से क्या होगा...!!
महफ़िल की वाह में अपनी आह छुपी होती है साहब महफ़िल की वाह में अपनी आह छुपी होती है साहब
थामा था जिन्होंने तुम्हारा नन्हा हाथ- उन कांपते हाथों को हिम्मत ज़रूरी है। थामा था जिन्होंने तुम्हारा नन्हा हाथ- उन कांपते हाथों को हिम्मत ज़रूरी है।
खत्म होने को है सफर शायद फिर मिलेंगे कभी ,मगर शायद.... खत्म होने को है सफर शायद फिर मिलेंगे कभी ,मगर शायद....
हो सकता है तुम्हें मेरी मजबूरी हो मालूम.....मगर शायद। हो सकता है तुम्हें मेरी मजबूरी हो मालूम.....मगर शायद।