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Mukesh MAC

Classics

4  

Mukesh MAC

Classics

मगर शायद

मगर शायद

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खत्म होने को है सफर शायद

फिर मिलेंगे कभी ,मगर शायद....

लिख के रख लिये हैं अपने एहसास


कह देंगे तुमसे भी कभी मगर शायद

वो मुझे पसंद हैं मैं उसे कह भी दूँ 

मै भी उसे पसंद हूँ वो भी हाँ ही कहे शायद.....मगर शायद मैं


गुजर जाना चाहता हूँ गुजरे जमाने से

मैं गुजर भी जाऊंगा... मगर शायद

मैं मजबूर हूँ जो इजहार कर न सकूँगा 


मै अपने असुलो को दरकिनार कर न सकूँगा 

हो सकता है तुम्हें मेरी मजबूरी हो मालूम.....मगर शायद।


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