कुंडलिया : "सच्चा मीत"
कुंडलिया : "सच्चा मीत"
आते सुख में साथ सब, दुख में जाते भाग।
स्वार्थ से दुनिया बनी, जाग सके तो जाग।
जाग सके तो जाग, राग इनका पहचानो।
दुख में दे जो साथ, मीत सच्चा वह मानो।
देखो असली मीत, प्रीत से साथ निभाते।
झूठे और मक्कार, यार दुख में ना आते।
