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Ajay Gupta

Fantasy

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Ajay Gupta

Fantasy

अमर मिलन

अमर मिलन

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देखता हूँ मैं,

मेघों के पार से

आ रही है

किरणों पर सवार

एक आभासी आकृति।


वो तुम्हारी प्रतिकृति,

बुला रही है मुझे

मिलने के लिए

उसी अनंत आकाश में।


लो, मेरी छाया को ले लो

लो, मेरी रूह को ले लो

लो, मेरे एहसास को ले लो,

इसे अपना लो।


जाने दो

दोनों आभासों को

जगत से दूर

बादलों के पार

जहाँ मिलते रहें ये

भूल कर

दैहिक, सांसारिक

और भौतिक बंधन।


प्राप्त हो जाए

अमरत्व को,

अपना मिलन।



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