तख़्त हिंदुस्तान का
तख़्त हिंदुस्तान का
चिंगारी जो तड़प रही है एक शोला बन जाने को
मचल रही है बैचेनों सी तेरी एक सांस पाने को
तूने ही जो बहा पसीना खून को काला कर अपने
इस ज़मीन में घिस रगड़ कर रूखी अंखियों में सपने
तेरी बाजू और गठीले इस मटमैले पूछ बदन से
जाने देगा अपनी कोशिश आया इतना इतने जतन से
कुछ सिक्कों की सूट बूट की उस झूठी मुस्कान में
लम्बे काफिले धोती टोपी विलास आलिशान में
इतना ही बस तेरे जी जो नप गया तू पैमानों में
इतनी से में ही तू सिमटा था उड़ा आसमानों में
रूह ने तेरी जो छेड़ी थी तानों में और गानों में
गुम हो गयी हुंकार कहीं लोहे के कारखानों में
तू जो बनता है हलाल मीठी छुरी की धारों का
क्या पोंछेगा घर के आँसू करके काम मक्कारों का
अभी तुझे भरकर अन्तैची तोल रहा तराजू पर
कहीं भरोसा कहीं ताक़त कहीं इश्क आरज़ू पर
यार बच्चे कच्चे सच्चे पत्नी के अरमानों पर
इन्हें ले जायेंगे हरामी सियासी बूचडखानों पर
समझ न पाता तू फिर से ढोंगी अंधी साज़िश के काम
अजगर कुंडली मार पल रहा ले बाबा गाँधी का नाम
ब
हुरूपिये तिरछी टोपी धारी इन नक्कालों ने
बैठ शान से शहंशाह बनकर कितने ही कंकालों पे
मिलकर इसने धन्नासेठों और दलालों के संग रचाया
तेरी माँ की नीलामी कर जयकारा तुझसे करवाया
बांट के कब्ज़ा तेरे तुझ में कौम पे राज चलाये जाये
डस डसकर फिर दांत गढ़ाये ज़ालिम भी इस से शरमाये
लेकिन फिर भी घबराता यह चुन चुन के चिंगारी से
रह रहकर जो दौर बगावत फूटे इस अंगारी से
आज गवाह तू बना है उस चिंगारी मुट्ठी ताल
एक सांस बस एक फूंक भर सबकी भट्टी बने मशाल
खेलेगा फिर तू तेरे वोह साथी नाती बच्चे न्यार
अंगारों की तेज में तेरी प्रियतमा ले ढेरों प्यार
एक से नेक हज़ारों अरबों जलसों में जुलूसों में
नेताजी जो भगत की संगत और जो कहा था रूसो ने
अजगर बन तू क्या बैठेगा कितने सपोले लेगा पाल
हंसिये बरछी औजारों से तेरी अंतड़ी दे निकाल
कितने ही तू माया छल कर नहीं किसी यह काम का
रावण कितना ग्यानी ध्यानी जपा नाम तोह राम का
दौर ऐ जहां तो है ही गवाह की राज है आवाम का
खबरदार रहना पापियों तख़्त हिंदुस्तान का