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ओ योगी मतवाले

ओ योगी मतवाले

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योग में रत रहने वाले 

योग के अध्येताओं

योग में रत रहने वाले 

योग के अध्येताओं

इन सांसों का राज़ हमे भी 

थोड़ा तो बतला दे 

योगी मतवाले ! ओ योगी मतवाले


मन में गांठे बहुत पड़ी हैं 

रहा बैर अपनों में घोल 

मन में गांठे बहुत पड़ी हैं 

रहा बैर अपनों में घोल 

अपने इन हाथों से तू 

इनको तो सुलझा दे 

योगी मतवाले ! ओ योगी मतवाले


अंधी दौड़ दौड़ रहे हैं 

होश अब रहता कहाँ 

अपने क्या और बैर क्या अब

बस दिखावा छा रहा<

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इस निराशा में ओ योगी 

तू है राहत का जहां


इतने अंगारों में भी 

मुखड़े पर मुस्कान है 

भीड़ इतनी बढ़ती रहती 

फिर भी सबका ध्यान है


ऐसा जादू करता है तू 

मन हमारे भाता है 

ऐसा जादू करता है तू 

मन हमारे भाता है 

शांत सागर से मुखड़े पर 

हल्का सा मुस्काता है 

इसी हँसी की चाशनी को 

हम सबमें भी घुलवा दे 

योगी मतवाले ! ओ योगी मतवाले 

             


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