बाहर की दुनिया से पहचान
बाहर की दुनिया से पहचान
एक मां अपने बच्चे को अपने से दूर बाहर शहर में पढ़ने भेज रही है।
वह बच्चा आज से पहले कभी बाहर गया नहीं है
और बाहर की दुनिया से उसका कोई परिचय नहीं
तो उसकी मां उसको बोल रही है।
उठ बच्चे तू बड़ा हो गया।
अब तेरे को पढ़ने है जाना।
जाकर अपना भविष्य बनाना।
लोग बहुत तुझको मिलेंगे।
कोई अच्छे कोई बुरे, कोई तुझको दोस्त मिलेंगे।
कोई तुझको दोस्त के रुप में दुश्मन मिलेंगे।
यह पहचान तू खुद करना किससे करनी तुझको दोस्ती।
कौन है तेरे लिए अच्छा कौन है तेरे लिए बुरा.
अनजान के पीछे तू ना जाना।
किसी के बहकावे में तू ना आना।
कोई तुझे कहे चल ज्यादा पैसा मिल जाएगा ।
कोई तुझे नशे की तरफ ले जाए।
कोई तुझे गलत रास्ते ले जाए।
सबसे तू बच के रहना।
तुझको है अपना भविष्य बनाना।
मां का पल्लू छोड़ अब अपना भविष्य बनाने जाना।
जा तू आगे पढ़ने जा निडर बन। हौसला रख।
अपने लक्ष्य को पूरा कर।
मां बाप का नाम तू रोशन कर।
घर से बाहर ना निकलेगा।
तब तक बाहर की दुनिया कैसे जानेगा।
बाहर की दुनिया भी इतनी बुरी नहीं है।
अच्छे लोग भी बहुत मिलते हैं।
दुनिया में बस पहचान तुमको आनी चाहिए।
कि कोई तुम्हारा फायदा ना उठा जाए।
और तुम किसी के बहकावे में ना आ जाओ।
गलत लोगों की संगत में फंस जाओ।
और अपने अपने लक्ष्य से ना भटक जाओ।
अपने आप को बर्बाद ना तुम कर जाओ।
बड़ों के आशीर्वाद और सिखाएं संस्कार के साथ
उठ बच्चे तू आगे बढ़।
अपने लक्ष्य में तू कामयाब होना।
यह है तेरी मां का कहना।
हिम्मत हौसला निडरता है तेरा गहना।
इनको ना तू दूर अपने से होने देना।