सुरभि शर्मा

Action

4  

सुरभि शर्मा

Action

सीता काली दोनों नारी रूप

सीता काली दोनों नारी रूप

1 min
588


आदर सबका जानती हूँ , 

अपने सारे फर्ज निभाऊँगी 

पर रिश्तों के नाम पे 

अपने तलवे चटवाने की 

कोशिश ना करना, 

ये ना कभी कर पाऊँगी 

उचित बातों को बोलने पर 

उसे दबाने के लिए 

आदर्श बहु बेटी पत्नी की गाथा 

मुझे अब मत सुनाना 

चित भी मेरी पट भी मेरा 

 ये खेल हुआ अब बहुत पुराना 

 खुद श्रीदशरथ, श्रीराम हो क्या 

 जो सीता मुझमें ढूँढ रहे 

 मानव रूप में जन्‍म लिया

और ईश्वर से तुलना कर 

 क्यूँ पाप की जाली बुन रहे 

 फिर भी अगर तुम्हें सिर्फ सीता ही याद  

  तो प्रलय मचा

  दुर्गा काली का भी रूप 

  याद दिलाऊँगी 


  धरती में नहीं समाने वाली अब 

  जो एक उँगली उठायी तुमने, तो 

  तुम्हें पूरा दर्पण दिखाऊंगी 

   मान जब तुम समझोगे मेरा 

   तभी मैं भी मान तुम्हारा रख पाऊँगी


  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action