इंक़लाब
इंक़लाब
हर एक खिश्त पर इंक़लाब लिख दो,
है अगर पिंजरे से बाहर
निकलने की आरज़ू कोई
तो यही वक़्त है ज़ुल्म-ऐ-राज
के ख़िलाफ़ लिख दो।
वो अधर्म से तोड़ेंगे
तुम कर्म से जुड़ जाना,
तुम उर्दू में, हिंदी में, अंग्रेज़ी और
हर ज़बान में हिंद की किताब लिख दो
हर एक खिश्त पर इंक़लाब लिख दो।
तख़्त आम जन है,
और वे ख़िदमदगार है हमारे
उन्हें अपने सिर पर बैठाने के ख़िलाफ़ लिख दो
हर एक खिश्त पर इंक़लाब लिख दो।