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कुछ पल मिले थे आज खुद के लिए, जिनमे खयाल तुम्हारा आया है। कुछ पल मिले थे आज खुद के लिए, जिनमे खयाल तुम्हारा आया है।
बहुत देख लिए ख़्वाब अकेले में बहुत देख लिए ख़्वाब अकेले में
निर्माण हूँ ध्वंस भी म्यान से निकली प्यासी तलवार हूँ मैं! निर्माण हूँ ध्वंस भी म्यान से निकली प्यासी तलवार हूँ मैं!
सल्तनत घूम कर आए हैं सभी , वज़ीर फ़र्मा रहे अब आराम हैं। सल्तनत घूम कर आए हैं सभी , वज़ीर फ़र्मा रहे अब आराम हैं।
उन्हें अपने सिर पर बैठाने के ख़िलाफ़ लिख दो हर एक खिश्त पर इंक़लाब लिख दो। उन्हें अपने सिर पर बैठाने के ख़िलाफ़ लिख दो हर एक खिश्त पर इंक़लाब लिख दो।