STORYMIRROR

Pritam Khaple

Tragedy Inspirational

4  

Pritam Khaple

Tragedy Inspirational

जीवन

जीवन

1 min
286


निर्माण हूँ

ध्वंस भी

म्यान से निकली प्यासी तलवार हूँ मैं. 


वेदोमय हूँ

अविचारी भी

दशानन सा अहंकार हूँ मैं. 


अंत हूँ

आरंभ भी

जीत जो हर बार चखे वो हार हूँ मैं. 


इंसानियत हूँ

हैवानियत भी

यज्ञ में आग से मचे वो हाहाकार हूँ मैं. 


सरल हूँ

कुटिल भी 

धन्य हो जीवन जिस से वो ज्ञान का साक्षात्कार हूँ मैं. 


सुख हूँ

दुख भी

जीवन रसो के विभिन्न प्रकार हूँ मैं. 


जान ना पायेगा तू मुझे

अनेक है रूप मेरे

पर मैं एक हूँ

पर मैं एक हूँ!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy