सोच रहा हुँ थोड़ा बदल के देखूँ फर्ज़ की क़ैद से निकल के देखूँ। सोच रहा हुँ थोड़ा बदल के देखूँ फर्ज़ की क़ैद से निकल के देखूँ।
यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी । यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी ।
उस पर मेरी उस पर मेरी
बस अपनी काबिलियत जान प्यारे, और अपने कदम बढ़ा। बस अपनी काबिलियत जान प्यारे, और अपने कदम बढ़ा।
तभी हम इस नवरात्रि को सही मायने में मना सकते हैं जो बुराई पर अच्छाई की जीत है। तभी हम इस नवरात्रि को सही मायने में मना सकते हैं जो बुराई पर अच्छाई की जीत ह...
जब चाहे हवस बनाना, उसे उलटा कहनाा। जब चाहे हवस बनाना, उसे उलटा कहनाा।