मानव का मार्गदर्शन
मानव का मार्गदर्शन
तू यह ना सोच कि तू है क्या,
तू यह ना देख कि लोग कहते हैं क्या,
बस अपनी काबिलियत जान प्यारे,
और अपने कदम बढ़ा।
तू यह ना सोच कि,"मैं यह कर सकता नही।",
तू यह सोच कि,"मैं क्या नही कर सकता?",
बस दृढ़ निश्चय साथ लेकर प्यारे,
तू अपने कदम बढ़ा ।
तू यह ना सोच कि परिणाम होगा क्या,
तू यह ना सोच कि,"मुश्किलें देंगी मुझे हरा।",
हार तो बहुत मान जाते है प्यारे,
तू अपने कदम बढ़ा ।
तू अपनी सोच को बढ़ा कर,
ग़रीबों कि मदद करा,
तू यह ना देख कि लोग कहेंगे क्या,
बस सही दिशा चुनकर प्यारे,
तू अपने कदम बढ़ा ।
तू दूसरों में सुधार ला,
उन्हें हर एक का आदर करना सिखा,
तू यह ना देख कि लोग कोसेंगे तुझे कितना,
अगर तू शुरूवात करेगा,
तभी सब पालन करेंगे प्यारे,
तू बस अपने कदम बढ़ा ।
भेदभाव का लेप छुड़वाकर,
तू लोगों को समानता का तिलक लगा,
तू यह ना सोच कि,"लोग समझेंगे या नही?" प्यारे,
तू बस अपने कदम बढ़ा ।
तूँ कोशिश न छोड़,
और उम्मीद का दीपक जला,
तेरी मंज़िल दूर नही है प्यारे,
तूँ बस अपने कदम बड़ा।