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SHUBH SRIVASTAVA

Abstract Inspirational

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SHUBH SRIVASTAVA

Abstract Inspirational

दीन की दुनिया

दीन की दुनिया

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करता हूँ प्यार सबसे,

लेकिन प्यार जताने के लिए धन नहीं।

करता हूँ मै भी धर्म का सम्मान,

लेकिन मजबूरियाँ है मेरी, जो मुझे

धर्म-ईमान के तरफ़ सोचने देती ही नहीं।

हूँ मै भी एक देशभक्त,

पर लोग देशभक्ति दिखाने का

मौका देते ही नहीं।


चाहता हूँ मै भी पाना ज्ञान,

पर समय है की मुझे ज्ञान

देने के लिए चुनता ही नहीं। 

है मुझ में भी काबिलियत,

लेकिन कोई मेरी काबिलियत को

निखारने की सोचता ही नहीं।


मैं देश के विकास के बारे में सोचता हूँ,

पर कोई मेरे विचारों का आदर करता नहीं।

कोई भी मेरा सम्मान न करता,

जबकि सब जानते है की मै भी हूँ इंसान ही।

मैं चाहता हूँ की सब लोग एकजुट होकर रहे,

लेकिन कोई मुझे मानव समझता ही नहीं।


मैं मानव कैसे कहलाऊँगा ?

इस मानव को कोई पूछता  ही नहीं।


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