पोटली आदर्शों की
पोटली आदर्शों की
आदर्शों की पोटली बांधे
गयी बड़े शान से
भारत के सुनहरे भविष्य को
ये समझाने, कि मत रो
तेरे आँसू बड़े कीमती हैं |
सुनहरे भविष्य ने धीरे से
मुझे देखा, और पूछा!
कि अगर मेरे आँसू इतने कीमती हैं
तो क्या इन्हें बेच
मेरे दो वक़्त की रोटी
जुगाड़ हो जाएगा?
मैं स्तब्ध, निरुतर, मौन
चुपचाप सर झुकाए लौट आयी वहाँ से |