STORYMIRROR

सुरभि शर्मा

Others

4  

सुरभि शर्मा

Others

थप्पड़

थप्पड़

1 min
741

सुनो सिर्फ एक थप्पड़ ही तो था, और

उसकी गूँज में, मेरे पुरुष होने का

अभिमान था, फिर उस गूँज में

तुमने अपना स्वाभिमान

कहाँ ढूंढ लिया?

हम पुरुष हैं

हम आवेश में कुछ भी

कर सकते हैं, फिर उस अधिकार में

तुमने अपना सम्मान कहाँ ढूंढ लिया?


सुनने में अच्छे लगते हैं

ये महिला मुक्ति, नारी सशक्तिकरण, 

किस्मत है तुम्हारी ये

मेरे घर का चूल्हा चौका और

बर्तन - बासन |

मैं पुरुष हूँ तो तोड़ सकता हूँ

तुम्हारी भावनाएँ, अपनी सीमाएँ, अपनी मर्यादायें,

और तुम स्त्री कम फेवीकोल ज्यादा हो तो

तुम्हारी जिम्मेदारी है हर टूटी चीज जोड़ना

और हमारा हक है हर कदम तुम्हें तोड़ना

फिर सोने के पिंजरे में फुदकते हुए

तुमने चहकने के लिए, अपना 

खुला आसमान कहाँ ढूँढ लिया? 

एक थप्पड़ ही तो था वो पुरुष होने के मान का 

फिर उसमें तुमने अपना 

स्त्री होने का मान 

कहाँ ढूँढ लिया! 



Rate this content
Log in