शहीदों के सम्मान में लिखना
शहीदों के सम्मान में लिखना
तुमने कलम उठाई है तो वर्तमान लिखना,
हो सके तो राष्ट्र का कीर्तिमान लिखना,
चापलूस तो लिख चुके हैं चालीसा बहुत,
हो सके तो तुम शहीदों के सम्मान में लिखना।
अट्टालिकाओं में जो गिरवी रखी है गांव की गरिमा ,
छुड़ा के उसको बस ग्राम स्वराज लिखना,
जिंदगी में भले ही टेंशन ही टेंशन हो
पर मुस्कुरा कर कैसे जीना है यह गीता का
ज्ञान लिखना।
तुमने कलम उठाई है तो वर्तमान लिखना,
हो सके तो तुम शहीदों के सम्मान में लिखना।
गर्वित मत होना अपने अतीत पर केवल,
कैसे हो सुनहरा भविष्य निर्माण इसका विज्ञान भी लिखना,
तुमने कलम उठाई है तो कभी हार मत लिखना,
विपत्तियों को दूर करने का समाधान भी लिखना,
ख्वाहिशों से भले ही भरे पड़े हो घर हमारे,
पर मुश्किलें भी सच है जिंदगी में पूरे ईमान से लिखना,
तुमने कलम उठाई है तो वर्तमान लिखना,
हो सके तो तुम शहीदों के सम्मान में लिखना।
कहीं मिलेगी प्रशंसा तो कहीं भावनाओं भी होंगी आहत
मगर हार को जीत में कैसे बदलें यह आख्यान भी लिखना
बन सके तो देश के ख़ातिर समय देना
और दूसरों को उससे मिले प्रेरणा इतना प्रमाण से लिखना
और अब मैं ज्यादा क्या कहूं आपसे
बस हमारी सभ्यता, संस्कृति बनाती है इंसान, लिखना
तुमने कलम उठाई है तो वर्तमान लिखना,
हो सके तो तुम शहीदों के सम्मान में लिखना।