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Aadya Bharti

Tragedy

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Aadya Bharti

Tragedy

बदलाव

बदलाव

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दादी ने हर रोज़ बताई,

करना है घर की सफाई,

उनकी कही हम भूल गए,

भूके को रोटी देना,

प्यासे को पानी देना,

क्या बतलाऊँ ! पढ़-लिखकर,

हम ऐसा करना भूल गए,

भूल गए माटी की खुशबु,

प्यार का बंधन भूल गए,

जिसे देख सब खुश होते,

वैसा करना भूल गए,

बदल सकते हैं पूरी दुनिया,

हम सब मिलकर सुनलो भाई,

आँखे खोल, जरा देखो तो,

इसमें है न तनिक कठिनाई,

मिलकर हम एक आवाज उठायें,

हाथ और दिल आपस में मिल जाएँ,

हिम्मत रखो और शुरू करो,

कुछ भी मन में शंका न रखो,

इसमें है सभी की भलाई,

यही सोच सफलता लाई!


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