हम मस्त हैं मोबाइल में
हम मस्त हैं मोबाइल में
घर लौटते वक्त,
जब सड़के सूनी सी हो जाती हैं,
रास्ते सुनसान से,
हवा भी थम सी जाती है,
क्योंकि हम, हम तो मस्त हैं मोबाइल में!
भौतिकता का आकर्षण,
पर्यावरण का आनंद,
कला, संस्कृति, प्रतिमाएं, गुंबद
और गिरजा घर, सब चुप है,
क्योंकि हम, हम तो मस्त हैं मोबाइल!
किताबों में लिखी गद्य-पद्य, कविता के शब्द,
सब धूल भरे विद्रोह के साथ,
दफन हो चुके,
क्योंकि हम, हम तो मस्त हैं मोबाइल में !
बातें सब बेकार होकर,
नीरस हो गई,
भावनाएं,
किसी अज्ञात जगह घूम सी गई हैं,
क्योंकि हम, हम तो मस्त हैं मोबाइल में!
हां, हम मस्त हैं मोबाइल में!
चाहे किसी का साथ हो ना हो,
हम तो मस्त हैं मोबाइल में!
