कोरोना
कोरोना
लो बहुत दिन हो गए थे
कोरोना, कोरोना सुनते -सुनते
अब आ गया है
वह हमारे देश-प्रदेश और घर की दहलीज तक,
अब जीना पड़ रहा है हमें भी बहुत सी
पाबंदियों और हिदायतो के साथ
और गुजारना पड़ रहा है वक्त
इसी छत के नीचे एक दूसरे के साथ साथ
तो आओ क्यों न लगे हाथ
इस वक्त से हम जीवन को सवार ले
शहर में लॉक डाउन चल रहा है
आओ अब इस मकान को
लगे हाथ घर में बदल डाले
बाहर सैनिटाइजेशन चल रहा है क्यों ना
लगे हाथ अपना गुरुर सैनिटाइज करवा दे हम
छोटी छोटी सी बातों में जो
एक दूसरे पर चढ़ जाती हैं त्योरियां
लगे हाथ इन्हें भी आइसोलेशन में रखवा दे हम
दिन-रात बंजारे सा भटकता रहता है मन
क्यों ना लगे हाथ इसे भी क्वॉरेंटाइन में भिजवा दे हम
वेंटिलेटर पर पड़े हैं हमारे एहसास
क्यों ना लगे हाथ इन्हें भी
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन खिलवा दे हम
गहराई में छिपे मोतियों से
चमकीले नहीं रहे अब हमारे संबंध
क्यों न लगे हाथ इनकी रिपोर्ट भी
पॉजिटिव करवा दे हम।