चीन को ज़वाब
चीन को ज़वाब
कैसी ये तेरी हिमाक़त है
तूने प्रभुता को ललकारा है,
खंजर घोंपा है पीछे से
कायरता को तूने पुकारा है,
आज ख़ून बहा कर सोच रहा
की तू तो बड़ा ही शातिर है,
दोस्त काहे का , तू निकला दुश्मन
तू झूठा बुज़दिल काफ़िर है,
बस बहुत हुई तेरी मनमानी
अब कब तक आँख दिखाएगा,
जो भारत से टकराएगा
वो चूर चूर हो जायेगा,
अखंड है देश , अखंड है सीमा
नज़रे तेरी क्यूँ भक्षक है,
लाख़ कोशिशें चाहे कर ले
वीर हमारे रक्षक हैं,
नहीं डरते हम मुश्किल आने पर
तुझे मिलकर सबक सिखाएंगे
पीछे हट जा इस मातृभूमि से
वरना तुझको हम मार भगाएँगें!