ख़्वाहिश
ख़्वाहिश


ख़्वाहिश नहीं की कुछ बड़ा कर जाऊँ
जो भी करुँ कुछ अच्छा कर पाऊँ
अभिमान कभी सर चढ़ कर ना बोले
हिम्मत, ईमान कभी मेरा ना डोले
दिल में ख़टास और ज़हर ना फैले
मिलता नहीं कुछ क़िस्मत से पहले
जो भी होगा, अच्छा ही होगा
मेरे हर सपना बिलकुल सच होगा
मुकाम अनेको आएंगे जीवन में
मेहनत को उतारो अपने तन मन में
आज नहीं तो कल को देखो
यूँ वक़्त से पहले हिम्मत ना छोड़ो
समय बड़ा बलवान हैं यारो
ग़लती अपनी तुम खुद ही सुधारों
हार है आज कल जीत भी होगी
तेरी खुद से कभी मीत भी होगी
सब्र करो, थोड़ा तुम समझो
अनुशासन और निष्ठा को समझो
जो भी होगा सब अच्छा ही होगा
तू सच्चा है तो मंगल ही होगा।