हॅसने का मौक़ा
हॅसने का मौक़ा
कभी मुस्कुराकर भी देखो इस दुनिया में
जीने का मतलब ही बदल जाएगा
जो आज बैठे हैं चिंताओं के घेरे में
उन्हें हसने का मौक़ा भी मिल जाएगा
खुदा की रहमत दिल में उतारो
तुम्हे मक्का मदीना यही दिख जाएगा
क्या ग़लत हैं ? क्या सही है ?
तुम्हे जीने का मकसद मिल जाएगा
दुआ करो तुम सलामत हो घर पे
कोई दुःख में सिमटा भी मिल जाएगा
जो मिले ,करो तुम उसकी इज़्ज़त
वक़्त भी मुश्क़िल कट जाएगा
ख़ैर बनाओ जिस घर से आए
कोई बेघर भी चलता कभी दिख जाएगा
जो भी हो हिम्मत ना हारो
समुंदर में भी किनारा कभी मिल जाएगा
मैं सशक्त हूँ अभी भी , मैं जीवित हूँ तत्पर
कोई न कोई जरिया तुम्हें भी मिल जाएगा
ज़ाया ना करो ये वक़्त हैं सोना
कभी तो मुक़ाम तुझे मिल जाएगा!