यही सोच कर कर्म रचाना था अभिध्यान अधूरा था। यही सोच कर कर्म रचाना था अभिध्यान अधूरा था।
द्रोणपुत्र के पुरुषार्थ से हुआ तिरोहित खौफ निराशा। द्रोणपुत्र के पुरुषार्थ से हुआ तिरोहित खौफ निराशा।
छला गया छलिया के जाले में उस दिन फँस फँस के। छला गया छलिया के जाले में उस दिन फँस फँस के।
क्या तीव्र था अस्त्र आमंत्रण शस्त्र दीप्ति थी क्या उत्साह। क्या तीव्र था अस्त्र आमंत्रण शस्त्र दीप्ति थी क्या उत्साह।
शीश पास जब पार्थ पड़े था दुर्योधन नयनों के आगे, श्रीकृष्ण ने बदली करवट छल से पड़े पार्थ शीश पास जब पार्थ पड़े था दुर्योधन नयनों के आगे, श्रीकृष्ण ने बदली करवट छल से प...
कौरव के प्रतिकूल बह चली रण डाकिनी ह्रदय प्रमाथी। कौरव के प्रतिकूल बह चली रण डाकिनी ह्रदय प्रमाथी।