कौन आएगा?
कौन आएगा?
दिल की उलझनें सुलझाने कौन आएगा?
रूठ अगर जाऊं मैं,
मनाने कौन आएगा?
नहीं किसी को कदर
मेरी, न कोई फिकर,
सो गया जो अभी,
जगाने कौन आएगा?
कुछ ही बरस हुए अभी आंख खोले हुए,
दिमाग की बत्ती गुल-सी है,
जलाने कौन आएगा?
मन बुद्ध होना चाहे,
ज्ञान-चक्षु खुलना चाहे,
कोई कह दे तथा-अस्तु,
हो जाऊं मैं भी अरस्तू।
फिर न कोई अभिमान रहेगा,
सत्य है जो मुख वही कहेगा,
चिंता न होगी फिर कभी स्वयं की,
चिंता जब होगी वसुधैव कुटुंबकम् की।
