परशुराम
परशुराम
ब्रह्मांड सत्य,प्रकृति, प्राणी, द्वय सत्य छिर सागर शेष सय्या सार!!
धर्म हानि जब होत, लेत मनुज अवतार भार्गव कुल विष्णु अवतार!!
ऋषि कुल गौरव, धीर, धैर्य, क्षत्रिय स्वभाव करुणा, क्रोध, अंगार!!
सत्य सनातन, सप्त चिरंजीवी, सत्य निरंतर काल हनुमत वानर रुद्रांश!!
तपसी, ज्ञानी, भार्गव,नर-नारायण, सत्यार्थ
ब्रह्मचारी, पितृ भक्ति, संसार!!
शिव भक्त, मृत्युंजय, परशुराम, भक्ति, ज्ञान, योग, ब्रह्म प्रमाण!!
हनुमत जीव वन अभिमान, ज्ञान, कर्म, तप, ध्यान भार्गव महेंद्र गिरी वास!!
विदेह प्रतिज्ञा, सिय स्वयंवर, महिमा बरनी ना जाए खंडित हो शिव पिनाक!!
सुन सिय वरण, चुनौती कठिन, आए अगनित योद्धा, राजा, राजकुमार!!
खंडित जो करे शिव पिनाक, सिय वरण करे, युग कीर्ति को पाए!!
इच्छा सबकी सिय वरण, कौनो जुगत लगाय टारे से ना टरे, सिय पूजित शिव पिनाक!!
टारे से जब ना टरे, कर लाखो जतन, उपाय महाराजा बैठ शीश नवाय!!
लज्जित एक दूजे से, नयन छिपाए, वीर बिहीन महि विदेह
पश्चाताप विलाप!!
गुरु आज्ञा पाई, रघुवर लिया पिनाक उठाय झपकत पलक, प्रत्यंचा दिया चढ़ाय!!
शिव पिनाक खंड-खंड, धनुष भंग ध्वनि, प्रतिध्वनि गूंजे सकल ब्रह्मांड
भंग साधना, ध्यान, विचलित भार्गव, डोलती अवनि, कुपित जस ब्रह्मांड!!
रूप रौद्र भार्गव, पहुंचे विदेह दरबार व्यथित देख, भंग शिव पिनाक!!
कंपित भय मृत्यु, सहमे योद्धा, राजकुमार भार्गव क्रोध हो, शांत कैसे, सांसत में प्राण!!
योद्धा, राजा, राजकुमार, बरने आपन नाम भार्गव भृगुटी चढ़ाय, देत भगाय!!
विदेह राजदरबार, भांति-भांति के, अगनित योद्धा बैठे शीश नवाय!!
परिचय देत, हर योद्धा, राजा, राजकुमार भार्गव क्रोध बढ़त, बढ़त ही जाय!!
भार्गव भय, समक्ष, कण्ठ सुखाय
शब्द, स्वर, ना आय, विश्वामित्र, भार्गव कीन्ह प्रणाम!!
राम, लखन आगे करी, लीन्हे भार्गव आशीर्वाद विदेह मांगे पुत्री, अखंड एहिवात वरदान!!
भार्गव प्रश्न, विदेह दरबार, शिव धनुष भंग का दोषी कौन?
साहस नहीं, कोई कुछ बोल सके, सभा मूक, सब मौन!!
परसा रक्त पिपासा, शिव धनुष भंग, शिव द्रोही कौन?
भार्गव ललकार, लखन सकोप, बार अनेक, भांति-भांति, तुम बरनी आपन मुख, आपन करनी!!
रघुकुल नंदन, मृदुबैनी, दास तुम्हार, नाथ, कोई भंग धनुष का है दोषी?
बोले भार्गव, दास कार्य, शत्रुता नहीं, सेवक सेवा विमुख, कार्य दण्ड, यथार्थ!!
लखन, भार्गव संवाद, राग, द्वेष, द्वंद, भाव विश्वामित्र अनुय, विनय, क्षमा, अपराध!!
भार्गव क्रोध, भयंकर, लखन विकराल, बोले राम, क्षमा करहु, मोई, प्रभु, परशुराम!!
बोले क्रोधित, भार्गव, एक गोरा, एक काला, काला सरल, श्याम स्वभाव!!
गोरा घट गरल, शत्रु भाव, शस्त्र, शास्त्रार्थ, विनय, विनम्र, राम वचन, भार्गव, सूर्य वंश, हम राम!!
गौ, ब्राह्मण, नारी, निशस्त्र, रक्षा कवच, हम, नहीं करत, संघार, ललकारे, कोई, युद्ध मे, कंपित हो, ब्रह्मांड!!
छोटा नाम, राम, हमार, तुम परसाधारी, परशुराम, हम, सिर्फ धनुषधारी, तुम, परशु, धनुष, अवतार!!
भार्गव ने देखा, गौर से, विष्णु, नव अवतार दिया कांधे से, धनुष, उतार!!
बोले राम, रमा, धन, करधन, लेहु
प्रत्यंचा, लेहु, चढ़ाय, संसय मिटे, राम, परशुराम, मिलन, नव युग, प्रकाश!!
राम कर, विष्णु, धनुष, भार्गव, दिए थमाए राम, प्रत्यंचा, धनुष, का, पल में, दिया, चढ़ाय!!
भार्गव क्रोध, शांत, निःशब्द, शीश, नवाय बोले, राम, छोड़े, कहा, प्रत्यंचा, का, वाण!!
व्यर्थ नहीं, यह, जाएगा, बिना, किये, कुछ, नाश भार्गव, उवाच, पूर्व दिशा, छोड़ो, बाण, तुम, राम!!
सकल पुण्य, हो, नाश, राम, बाण, का, छोड़ना भार्गव, अहंकार, नाश!!
राम, युग, शुभारम्भ, परशुराम, युग, दृष्टि, ध्यान, लगाय
महेंद्र गिरी, गए, परशुराम!!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!

