रणभेरी
रणभेरी
रणभेरी बज जाती है,
जब मानवता मर जाती है
रणभूमि सज जाती है,
जब रणभेरी बज जाती है!!
मर्यादा मर जाती है, तब
रणभेरी बज जाती है
अहंकार,अहं जब शक्ति-
स्वर बन जाती है!!
नैतिकता का होता ह्रास,
नीति-नियत विकृत जब हो
जाती है मिट जाता परस्पर
प्रेम, तब रणभेरी बज
जाती है!!
सच, सच्चाई मर जाती है,
तब रणभेरी बज जाती है
भय भयाक्रान्त मानव,
संसार युद्धभूमि बन
जाती है!!
मिथ्या प्रपंच, पाखण्ड
जब दिखने लगता सत्य
अन्धकार के अहंकार में
खो जाता तब सत्य ही
रणभेरी बन जाती है!!
रणभेरी बज जाती ,
तब रक्त नदियाँ बह
जाती मरते मानव,
जलते शव,अवनी
श्मशान बन जाती!!
रणभेरी बज जाती,जब
खोट नियत में आ जाती
संबन्धों में द्वेष, घृणा दे
जाती सजता तब शान्त
भूमि, युद्धभूमि बन
जाती!!
रणभेरी बज जाती,
जब भाव, संवेदना मर
जाती मानव रक्त पिपासु,
परमात्मा, प्रकृति लज्जित
हो शीश झुकाते पल, प्रहर,
महासमर-भूमि बन जाती!!
मर जाता आँखों का
पानी, सम्बन्धों में
अविश्वास भय, भ्रम का
संसार हो जाता बज जाती
रणभेरी, नर्क पृथ्वी बन
जाती!!
- नंदलाल मणि त्रिपाठी, पीतांबर, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश!!
