Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Anju Singh

Abstract

4  

Anju Singh

Abstract

इंसान कितने बदल गए

इंसान कितने बदल गए

2 mins
411


इंसान कितने बदल गए 

जाने कहां वो खो गए 

बिन कहे जों एक दूसरे की

बात समझ लिया करते थे

एक दूसरे को देख कर

हालात समझ लिया करते थे


जिंदगी में सभी इंसान

मशीन बनकर रह गए 

जज्बात भरे दिल और वो

भावुक इंसान जाने कहां खो गए

सब के सब केवल व्यवहारिक हो गए

इंसान कितने बदल गए


अब कहां किसी के चेहरे 

शर्म से लाल है हुआ करते

बेधड़क और मस्त मौला

अब मिजाज कहां हुआ करते

जहां भी देखो हर इंसान 

बनावटी रंग में है रंगे

इंसान कितने बदल गए 

जाने कहां खो गए


उस समय ना स्मार्टफोन था

और ना ही फेसबुक ट्विटर एकाउंट

एक चिट्ठी के जरिए ही लोग

जज़्बात समझ लिया करते थे

यह जज्बात फना हो गए 

इंसान कितने बदल गए

जाने कहां खो गए


आज कहां कोई शिष्य 

 गुरु के चरणों में शीश नवाता है

अब कहां भाई भाई से 

कोई समाधान पूछ पाता है

जहां भी देखो हर किसी का 

खुद से ही तो नाता है

इंसान कितने बदल गए 

जाने कहां खो गए


एक बेटा कहां अपने पिता से

उलझनों का निदान पूछ पाता है

कहां कोई बेटी और बहू मां से

गृहस्थी के सलीके पूछती है

हर जगह वो तो अपनी

मर्जी की किया करती है

इंसान कितने बदल गए हैं 

जाने कहां खो गए


पहले लोगों के चेहरे 

खुली किताब हुआ करते थे

एक दूसरे का मन लोग 

आसानी से पढ़ लिया करते थे

एक दूसरे की तकलीफ में 

लोग मन से साथ दिया करते थे

इंसान कितने बदल गए

जाने कहां खो गए


समय की कैसी विडंबना आई

किसी में ना दिखती सच्चाई

अपनों की याद नहीं रूलाती है

पुरानी बातें कहां किसी को भाती है

इंसान कितने बदल गए

जाने कहां खो गए


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract