इंसान कितने बदल गए
इंसान कितने बदल गए
इंसान कितने बदल गए
जाने कहां वो खो गए
बिन कहे जों एक दूसरे की
बात समझ लिया करते थे
एक दूसरे को देख कर
हालात समझ लिया करते थे
जिंदगी में सभी इंसान
मशीन बनकर रह गए
जज्बात भरे दिल और वो
भावुक इंसान जाने कहां खो गए
सब के सब केवल व्यवहारिक हो गए
इंसान कितने बदल गए
अब कहां किसी के चेहरे
शर्म से लाल है हुआ करते
बेधड़क और मस्त मौला
अब मिजाज कहां हुआ करते
जहां भी देखो हर इंसान
बनावटी रंग में है रंगे
इंसान कितने बदल गए
जाने कहां खो गए
उस समय ना स्मार्टफोन था
और ना ही फेसबुक ट्विटर एकाउंट
एक चिट्ठी के जरिए ही लोग
जज़्बात समझ लिया करते थे
यह जज्बात फना हो गए
इंसान कितने बदल गए
जाने कहां खो गए
आज कहां कोई शिष्य
गुरु के चरणों मे
ं शीश नवाता है
अब कहां भाई भाई से
कोई समाधान पूछ पाता है
जहां भी देखो हर किसी का
खुद से ही तो नाता है
इंसान कितने बदल गए
जाने कहां खो गए
एक बेटा कहां अपने पिता से
उलझनों का निदान पूछ पाता है
कहां कोई बेटी और बहू मां से
गृहस्थी के सलीके पूछती है
हर जगह वो तो अपनी
मर्जी की किया करती है
इंसान कितने बदल गए हैं
जाने कहां खो गए
पहले लोगों के चेहरे
खुली किताब हुआ करते थे
एक दूसरे का मन लोग
आसानी से पढ़ लिया करते थे
एक दूसरे की तकलीफ में
लोग मन से साथ दिया करते थे
इंसान कितने बदल गए
जाने कहां खो गए
समय की कैसी विडंबना आई
किसी में ना दिखती सच्चाई
अपनों की याद नहीं रूलाती है
पुरानी बातें कहां किसी को भाती है
इंसान कितने बदल गए
जाने कहां खो गए