STORYMIRROR

Ravindra Lalas

Abstract Inspirational

4  

Ravindra Lalas

Abstract Inspirational

हार में जीत को देखा जिसने।

हार में जीत को देखा जिसने।

1 min
195

जीत का जशन, 

मनाते सब है,

पर हार में खुश,

ये कौन हुआ ?


शिकस्त में सीखा,

गिरके उठना,

ज्यों प्यासे का,

पाजाना कुँआ।


जीत जतन है, 

वक्त की करवट,

आग भी है, 

फिर धुँआ धुँआ।


कर्म, ज्ञान, 

भक्ति में शक्ति,

पर जीत हार 

बस दवा दुआ।


जीत का हार,

ज्यों अहंकार,

है नशा कभी, 

कभी खेल जुआ।


हार की धार, 

करे तय्यार,

दबंग मिजाज़, 

और श्वास युवा।


हार की जीत,

जीत की हार,

खरगोश से आगे, 

चला कछुआ।


हार में जीत को 

देखा जिसने,

वो मुस्काया 

फिर मौन हुआ।


जीत का जश्न, 

मनाते सब है,

पर हार में खुश,

ये कौन हुआ ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract