अंदाज़ मगर कुछ ऐसा।
अंदाज़ मगर कुछ ऐसा।
जो बात कही,
थी नहीं नई,
अंदाज़ मगर कुछ ऐसा,
की दिल को छू गई।
हालात वही, जज़बात वही,
कुछ नया नहीं,
अंदाज़ मगर कुछ ऐसा,
की दिल को छू गई।
शुरुआत वही, सौगात वही,
थी नहीं अनकही,
अंदाज़ मगर कुछ ऐसा,
की दिल को छू गई।
दिन मान वही, अरमान वही,
सुर भी, और तान वही,
अंदाज़ मगर कुछ ऐसा,
की दिल को छू गई।
पहचान वही, ईमान वही,
फरमान नहीं, एहसान नहीं,
अंदाज़ मगर कुछ ऐसा,
की दिल को छू गई।
अनुमान भी और आसार वही,
आँखें हुई जो चार वही,
अंदाज़ मगर कुछ ऐसा,
की दिल को छू गई।
दिन रात सुनी, कई बार कही,
कहने को कहीं, सुनने को सुनी,
अंदाज़ मगर कुछ ऐसा,
की दिल को छू गई।
इरशाद वही, और दाद वही,
क्या कहें कही, क्या कहें सुनी,
अंदाज़ मगर कुछ ऐसा,
की दिल को छू गई।
जो बात कही, थी नहीं नई,
सब वही वही, सब सुनी कही,
अंदाज़ मगर कुछ ऐसा,
की दिल को छू गई।

