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रिपुदमन झा "पिनाकी"

Classics

4.9  

रिपुदमन झा "पिनाकी"

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सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना

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जय जय जय सरस्वती माता।

तुम्हरी महिमा सब जग गाता।

ज्ञान, बुद्धि, विद्या तुम देती -

जीवन का फल तुमसे पाता।


शतदल पर मां सदा विराजे।

वीणा, पुस्तक कर में साजे।

धवल वर्ण तन श्वेत वसन है-

स्फटिकमालिका ग्रीवा छाजे।


स्वर तुमसे है गीत भी तुमसे।

सरगम और संगीत भी तुमसे।

तुमसे जग में मान है मिलता-

रीत, प्रीत और मीत भी तुमसे।


सौम्या, वागीश्वरी, भारती।

दुनिया तुझको मां पुकारती।

जग तेरी ही करे आराधना-

सब जन तेरी करें आरती।


मुझ पर भी उपकार करो मां।

निज सुत का उद्धार करो मां।

विद्या का अब दान मुझे दो-

विनती अब स्वीकार करो मां।


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