हद हो गयी जागते जागते
हद हो गयी जागते जागते
कुछ इस तरह हद हो गयी जागते जागते
मच्छर भी सो गए मुझको काटते काटते
वो अपनी पूरी सेना लेकर आये
मेरे कान पे खूब देर पिनपिनाये
मगर मुझपे असर कर ना सके
मैं चुप था मेरे हाथों मर ना सके
पूरी शिद्दत से मेरा खून निचोड़ा
आने वालों के लिए भी खूब जोड़ा
मैं भी मूड में था उनका तोड़ा नहीं दिल
इस तरह वो मुझको नोंचते रहे तिल तिल
वो तो सो गए पर मेरी उधेड़ बुन जारी थी
मेरे दर पे नींद, सिर पटक पटक के हारी थी
ऐसा नहीं है सोने का ख़्याल नहीं था
मगर क्या करते सोने का हाल नहीं था
गुफ़्तगू दिल की रात के साथ थी
ये भी बीते एक रोज की बात थी
वो थे कभी ज़िन्दगी में हमारी
इस तरह बीत रही थी ज़िन्दगी सारी
आज वो तो नहीं थे मगर उनकी याद बहुत थी
रात भर जगने के लिए ये बुनियाद बहुत थी
मच्छरों ने मेरा भरपूर साथ निभाया
मगर उन तक खबर कोई पँहुचा नहीं पाया
जज़्बात ज़िंदा बचे थे या फिर मर गए थे
पता नहीं कब रात के पल गुज़र गए थे
सुबह हुई तो नए सफर का आगाज़ हुआ
कुछ इस तरह दफ़न और एक राज हुआ
फिर रात आएगी मगर क्या याद आएगी
क्या कह रहे हो उम्र ऐसे ही गुज़र जाएगी।
