Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Comedy Classics

4  

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Comedy Classics

एक नज़्म - बे - क़ायदा

एक नज़्म - बे - क़ायदा

1 min
218


वक़्त मिलता है कहाँ

आज के मौसुल में

रक़ीबा दर - ब - दर

डोलने का हुनर मंद है


ये ख़ाक सार

इक अदद पेट ही है

जिसने न जाने कितनी

जिंदगियां लीली है


तुखंम उस पर कभी भरता नहीं

हर वक्त सुरसा सा

मुँह खोल के रखता है

न जाने किस कदर

इसमें ख़ज़ीली हैं। 


ईंते ख़ाबां मुलम्मा कौन सा

इस पर चढ़ा होगा

दिखाई भी तो नहीं देता

मगर इक बात मुझको

इसके जानिब ये ज़रुर कहनी है।


अगरचे ये नहीं होता

बा कसम ये दुनिया नहीं होती

ये जो फौज इंसानो को दीखती है ना

हर कदम जर्रे जर्रे पर


बा खुदा ये बिना इसके तो क्या

फिर यहाँ होती थी

बहुत सोचा हुआ लोचा

कदम लड़खड़ाने लगे मौला

मगर इसको तो चाहिए

कुछ चटख ये बात केहनी है,

रूखे रुखसार पर मुर्दगी सी छा जाती है।


अगरचे इसको देने में

कुछ देर हो जाये

कसम से पेट है बल्हाह

या के मसालची की धौंकनी है ये

अमां यारो मिरि रचना का

तफ़्सरा कर देना


मिरि ब्लॉग के सम्पादक ने,

मुये इस पेट के खाने की

बाबत मुझको ५ रुपया देने की

सिफारिश की है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy