प्रारम्भ हुआ फिर ऋतु- चक्र, शीतल बयार ने गति अपनाई! प्रारम्भ हुआ फिर ऋतु- चक्र, शीतल बयार ने गति अपनाई!
उंगली से उलझी उंगलियां सुलझा कर बाहों की लड़ीयों में तन तेरा पिरोकर होले से चूम लूँ दो मिश्री... उंगली से उलझी उंगलियां सुलझा कर बाहों की लड़ीयों में तन तेरा पिरोकर होले से...
काली बदरा है छायी लेवत बरखारानी अंगडाई। काली बदरा है छायी लेवत बरखारानी अंगडाई।