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Anuradha Shrivastava

Abstract Classics

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Anuradha Shrivastava

Abstract Classics

दिल

दिल

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दिल मेरा धड़कता है बस तेरे ही नाम से

 बसा रखा है इसमें तुझे बड़े अरमान से


चाहें कितनी ही कर ले तु दिल्लगी 

फिर भी तुझे ही चाहेंगी ये पगली


दुआओं में रब से मैंने बस तुझे ही लिया है

मन्नतों के धागों से तुझे बांध लिया है 


लेना जाए कोई मुझसे छीन के तुझे

इसलिए तेरा नाम मैंने सबको बताला दिया है


कब तक रहोगे तुम बचकर मुझसे

अपने हाथों पर मैंने तेरा नाम लिखवा लिया है


इस दिल पर अब मेरा कोई जोर नहीं

मेरे दिल तो चाहिए बस अब एक तू ही


तू हां कर या ना कर तेरी मर्जी

मेरे दिल ने तो लगा रखी है कब से अर्जी


नादान है नन्हा सा है पर तेरा अपना है

इस दिल ने देखा बस तेरा ही सपना है


बस कर ले तू कबूल पूरी हो जाएं मेरी मर्जी

इंतजार में तेरे बीत न जाएं दिल का मौसम बेदर्दी।


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