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Aditi Vats

Abstract Classics Inspirational

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Aditi Vats

Abstract Classics Inspirational

राखी

राखी

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अब कहां वो राखी रही 

जब भाई मानता था 

बहन की हर बात कही।।


अब कहां वो राखी रही

जब तीज देने जाने पर 

बहन बांध देती थी राखी वहीं।।


अब कहां वो राखी रही

जब उपहारों और भेंटो से नहीं

प्रेम के धागे से बंधती थी राखी।।


अब कहां वो राखी रही

जब एक मोली का धागा 

बांध देता था डोर पक्की।।


अब कहां वो राखी रही

जब बहन की रक्षा में रहता था भाई

सरहद पार भी राखी बांध लेता था भाई।।


अब कहां वो राखी रही

जब पूरा परिवार साथ होता था 

जब पूरा दिन भाई बहन के नाम होता था।।


अब कहां वो राखी रही

जब शगुन का एक सिक्का बहुत होता था

भाई बहन का प्यार अनमोल होता था।।


अब कहां वो राखी रही

अब सब डिजिटल हो गया 

भाई बहन का प्यार पेटीएम हो गया।।


अब कहां वो राखी रही

किसी के पास वक्त नहीं है

भाई बहन के त्यौहार का वक्त नहीं है।।


अब कहां वो राखी रही

अब सब ऑनलाइन हो जाता है 

अब कब भाई बहन के घर जाता है।।


अब कहां वो राखी रही

अब कहां वो राखी रही !


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