हम मिल कर क्या खूब रंग जमाएंगे, समा बनेगा जब तेरे मेरे डांडिया टकराएंगे। हम मिल कर क्या खूब रंग जमाएंगे, समा बनेगा जब तेरे मेरे डांडिया टकराएंगे।
कुछ खास लिखना चाहती हूं, कलम में शोर हो तुम्हारा ऐसा लिखना चाहती हूं। कुछ खास लिखना चाहती हूं, कलम में शोर हो तुम्हारा ऐसा लिखना चाहती हूं।
धर्म को अपनों से भी कहीं अधिक चाहा है हमने। धर्म को अपनों से भी कहीं अधिक चाहा है हमने।
मुख्तसर सी बात थी, तेरा वो मुस्कुराना। मुख्तसर सी बात थी, तेरा वो मुस्कुराना।
पर्वत कितने भी करीब हो जाए क्षितिज के, वो बस लौट आता है। पर्वत कितने भी करीब हो जाए क्षितिज के, वो बस लौट आता है।
बाल विवाह का शिकार जो बन जाए कुछ ऐसी है कहानी उसकी। बाल विवाह का शिकार जो बन जाए कुछ ऐसी है कहानी उसकी।