गरबे की रात
गरबे की रात
आ चले मा रानी के दर्शन को,
आ चले गरबा खेलने को।
गरबे की रुत है आई,
काफी इंतजार के बाद ये रात है आई,
तोड़ दे हर बंदिश को,
भुला दे इस जग को,
आ चले मा रानी के दर्शन को,
आ चले गरबा खेलने को।
झिलमिल करते मेरे घागरे ने
कैसी चांदनी हर ओर बिखेरी है,
मेरी झांझर ने रात की
गहरी खामोशी भी तोड़ दी है,
तू भी थाम ले डांडिया मैं भी तैयार हूं,
आज तुझ संग झूमने को मै भी बेकरार हूं,
आ चले माँ रानी के दर्शन को,
आ चले गरबा खेलने को।
आज यहीं बरसाना यही मधुबन होगा,
गरबे की थाप पर आज प्रेम रास होगा,
तू कान्हा मेरा मैं राधा तेरी बन जाऊंगी,
सब भूल आज मैं सिर्फ तेरी हो जाऊंगी,
आ चले मा रानी के दर्शन को,
आ चले गरबा खेलने को।
सुन कर तबले कि थाप कदम अब रुकते नहीं है,
पल जो गुज़र गए फिर लौट कर आते नहीं है,
भूल लोक लाज आज झूम ले तू मेरे साथ,
थिरकेंगे कदम मेरे आज देना तुम भी मेरा साथ,
आ चले मा रानी के दर्शन को,
आ चले गरबा खेलने को।
पहन कर घुंगरू कर के हर साज श्रृंगार,
आज मुझे है बस तेरा इंतजार,
मेरी आखों का काजल कही धूल ना जाए,
तुझ संग झूमे बिन गरबे की रात कही बीत ना जाए,
आ चले माँ रानी के दर्शन को,
आ चले गरबा खेलने को।
आज तारें ज़मीन पर आ गए है,
पहन घाघरा चोली सब गरबा खेलने आ गए है,
हम मिल कर क्या खूब रंग जमाएंगे,
समा बनेगा जब तेरे मेरे डांडिया टकराएंगे।