मातृभाषा हिंदी
मातृभाषा हिंदी
हर दिन हिंदी दिवस हमारा
यह सब हम क्यों ना माने।
मातृभूमि की मातृभाषा ये
इसके स्वरूप को हम जाने।।
जन्म लिया थी गोद इसी की
पालन पोषण इस छांव हुआ।
जो सीखा इससे सब सीखा
पर अब क्यों ये माहौल हुआ।।
पाश्चात्य सभ्यता में घिर बैठे
बचा अपना कोई ख्याल नहीं।
भौतिक सुख की चाह बढाली
भाषा का कोई मलाल नहीं ।।
कितने हैं सुन्दर शब्द मधुरता
रहा साहित्य बहुत ही इसका।
विश्वपटल पर छा सकती है
हो सम्मान यदि घर में इसका ।।
हिंदी ही तो है पहचान हमारी
इसे स्वाभिमान अपना समझो।
सदा गर्व रहे हमें इसपर इतना
सब काम इसी में अब समझो।।
ये एक दिवस कोई अर्थ नहीं है
सब इसे रग रग में संचार करो।
मिले पूरा सम्मान "कमल"अब
सब मिलकर यही विचार करो।।
