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Vikram Kumar

Classics Inspirational

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Vikram Kumar

Classics Inspirational

राखी के मुक्तक

राखी के मुक्तक

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तू चंचलता है घर की और अभिमान है बहना

हमेशा से मेरा एक ही यही ऐलान है बहना

उदासी तेरे चेहरे पर कभी आने नहीं दूंगा

मेरी जान से बढ़कर तेरी मुस्कान है बहना


हर आधार बसता है तेरी राखी के धागे में

सारा प्यार बसता है तेरी राखी के धागे में

इससे बढ़कर न मेरी कोई भी सौगात दुनिया में

मेरा संसार बसता है तेरी राखी के धागे में


उंचा तेरी ख्वाबों का सदा परवाज रखूंगा

तेरे ही स्नेह को जीवन का अपने नाज रखूंगा

सलोनी राखी के त्यौहार पर है मेरा ये वादा

तेरी राखी के धागों का सदा मैं लाज रखूंगा।


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