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Vikram Kumar

Inspirational Others

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Vikram Kumar

Inspirational Others

मुझ सा नहीं होगा

मुझ सा नहीं होगा

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दिल पर चाहतों का वो असर मुझ सा नहीं होगा

मिलेंगे लाख तुमको कोई मगर मुझ सा नहीं होगा


भले ही और लोगों में बहुत सी खास बातें हों

मगर दिल जीत लेने का हुनर मुझ सा नहीं होगा


माना तुम भी लड़ते जा रहे अपने मुकद्दर से

बेरंग जीवन का सफर मुझ सा नहीं होगा


भले अरबों में होगा मोल तेरी इस हवेली का

फिर भी कभी तेरा ये घर मुझ सा नहीं होगा


ये सच है दौलतों का एक खजाना पास है तेरे

पर तेरा दिल, तेरा जिगर मुझ सा नहीं होगा


जिधर नजरें तुम्हारी हैं उधर है स्वार्थ का डेरा

जज्बा कर गुजरने का उधर मुझ सा नहीं होगा


भटकते हैं भले सब लोग आकर इस जमाने में

गम में चूर, कोई दर-बदर मुझ सा नहीं होगा


खबर मिलती नहीं कोई मुझे अब इस जमाने की

मोहब्बत में कोई भी बेखबर मुझ सा नहीं होगा


चाहो तो खुशी से ढूंढ़ लो लेकर दिया भी तुम

जमाने में कोई भी हमसफर मुझ सा नहीं होगा


मैं विक्रम कुमार यह स्वप्रमाणित करता हूं कि यह मेरे द्वारा लिखी गई नितांत मौलिक रचना है। इसे मैं आपके लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में प्रकाशन हेतु सादर निवेदित करता हूं।



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