साहस परिभाषित : सुभाष
साहस परिभाषित : सुभाष
भारत के आजादी के लिए
वीरों के जोश जगाए थे
भारत माता के लिए
जिन्होंने ख्वाब सजाए थे
जन जनार्दन की प्रेरेना
वो ही नेताजी कहलाए थे।
जानकीनाथ जी के लाड दुलारे
प्रभाभाती जी के प्यारे भी
इन्ही पूज्य अभिभावको की
छाया में सिखे
जीवन के मंत्र सभी
सीखा विद्यालय का ज्ञान पूर्ण
धर्म ज्ञान के भी इक्षुक थे
गीता से भी ज्ञान लिया
विवेकानंद जी से प्रेरणा भी
साहस से तो परिपूर्ण थे
और ज्ञान से खुद की खोज में भी
सिर्फ विचारो - वाणी में ना
कर्मों में विश्वास था
सदा नेताजी के लिए
भारत का ही सर्व प्रथम स्थान था
जान गए थे लहू बह कर ही
आजादी आयेगी
क्या दुख जो अपनी मिट्टी के लिए
प्राण की बलि जायेगी
यह भी सच की काबिल सारथी के
सानिध्य में विजय का सूरज उगता है
भारत के लाल भूले भय जो नेताजी का मिलता
साहसी कर्मठ सैनानी
युवकों की प्रेरणा बने
मुश्किलें आई कितनी भी
सिर उठाए रहे खड़े
आज़ाद हिंदी फौज बनाना तो
baa in वीर की शुरुआत थी
चले ही चले जाना था
आजादी को भारत लाने
बढ़े ही बढ़े जाना था
शब्द कम पड़े जो करने निकले
नेताजी का धन्यवाद,
भारत की विजय गाथा में गढ़ित
स्वर्ण अक्षरों से उनकी धरोहर की याद।।
जय हिंदी की सेना के सेनापति पर
भारत सदा गर्वित,
सूरज से चमकते ' सुभाष '
पर भारत माता स्वयं हर्षित।।
