मैं दरिया तुम सागर
मैं दरिया तुम सागर
बीते दिन बहुत विरह के
अब तुमसे मिलने आई हूं।
देने को उपहार प्रिये,
नीर भरे नैना लाई हूं।
तुम जैसा ही खारा है,
मैं मेरे नैनों का पानी।
तुममे ही मिलकर खो जाऊँ,
और कही मै ठांव ना पाऊं।
मैं विरहिन प्यासी नदियां,
तुम प्रेम मेघ नयनागर हो।
तुम ही मेरी मंजिल हो,
तुम ही रैन बसेरा।
तुम बिन कोई ना देखे यहां,
ना कोई तुम बिन मेरा।
मै नदिया तुम सागर,
मिलन अधूरा ना रह जाए।
भर लो मुझको बाहों में,
प्रेम अमर ये हो जाए।