मन का रेडियो
मन का रेडियो
मन का रेडियो बजता जब-जब..
खो जाना मन चाहता, बचपन में तब तब।
काश लौट आए बचपन दीवाना,
वही मस्ती वही अल्हड़पन बचकाना।
मन का रेडियो बजता जब-जब...
लगता बांह फैलाए,
उडुं आसमां तक,
गले लग जाऊं चांद सितारों के,
गुम हो रहुं उन नजा़रों में।
मन का रेडियो बजता जब-जब...
चाहुं हर मनचाहे जज्बात हो पूरे,
ना कोई गम मुझे छू ले।
यूं ही हंसते गाते बीते हर पल,
जीवन बन जाए खूबसूरत गज़ल।
मन का रेडियो बजता जब जब...