नवरात्रि
नवरात्रि
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नवरात्रि आई है मांँ....
मंडप सजा हर द्वार है।
भक्त खड़े कर जोर,
कर रहे इंतजार है।
नवरात्रि आई है मांँ.....
लाल चुनरिया ओढ़ मांँ,
हाथी पर सवार आई है।
लाल लाल चूड़ा हाथ सजे,
गल फूलों का हार है।
नवरात्रि आई है मां.....
नव वर्ष में आशा का दीपक,
जगमग जगमग करता दिख रहा।
आशा और उम्मीद लिए मन,
नए सपने संजो रहा।
नवरात्रि आई है मांँ.....
मांँ तेरी अनुकंपा यूंँ ही बना रख,
मन पुलकित हो रहा।
दर्शन की चाह में बैचेन मन,
आवाहन तेरा कर रहा।
नवरात्रि आई है मांँ.....
