जब चले पुरवाई
जब चले पुरवाई
हौले हौले जब चले मेरे आस पास तेरी यादों की पुरवाई
पता नहीं कब हो गई भोर और कब साँझ ढल आई
मोहब्बत करी दोनों ने बेहद पर सज़ा सिर्फ मैंने पाई
तेरे संग गुजरा एक जमाना लगता चंद लम्हे थे वो
तेरे इश्क़ का तोहफा दे के गया उम्र भर की तन्हाई
दिल के आसमां पर प्यार की चांदनी दो पल मुस्काई
फिर हम रूठे तुमसे और मनाना आया नहीं तुम्हें
गलतफमियों ने दो दिलों की राहें अजब उलझाई
कच्ची काली सी मुहब्बत बिन खिले मुरझाई
रिश्ते की दरार में आसानी से तीसरे ने जगह बनाई
सैकड़ों सपनें हज़ारों वादे तोड़ गया ऐसे मोड़ पे छोड़
किस जुर्म के बदला है ये मेरे हिस्से आयी तेरी बेवफ़ाई
हौले हौले जब चले मेरे आस पास तेरी यादों की पुरवाई।