STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

गौमाता को नमन

गौमाता को नमन

1 min
354


हे गौमाता तुम्हें नमन करता हूँ

शीष झुकाकर अभिनंदन करता हूँ।

हे मैय्या हम सब उदंड होते जा रहे हैं

तेरी उपेक्षा भी अब तो हम कर रहे हैं,

हम अबोध अज्ञानी है ये भी नहीं कह रहे हैं

हम बड़े बुद्धिमान समझदार है तूझको बता रहे हैं।


तेरी महिमा सेवा का ज्ञान भी हमको है

पर हम तो आधुनिकता के घोड़े पर सवार हैं,

अपने जीवन को अंधेरे में ढकेल रहे हैं

तू गौमाता है हमारी ये भी जान रहे हैं।


पर दिखावे और आडंबर मे आकर तुझसे दूर हो रहे हैं

जन्मदायिनी माँ की तरह तेरी भी उपेक्षा कर रहे हैं,

अपनी राह में अब हम ही कांटे बिछा रहे हैं

यह जानते हुए भी तुझे अपनी डेहरी से दूर कर रहे हैं,

सब कुछ जानते हुए भी कि हम क्या कर रहे हैं ?


फिर भी तुझसे नजरें फेरकर आगे बढ़ रहे हैं।

गौमाता तेरी महत्ता को हम रोज ठोकर मार रहे हैं

आधुनिकता के रंग में हर पल हम रंगे जा रहे हैं।

हे गौमाता हम तुझे औपचारिकता वश नमन कर रहे हैं।

तुझे दूर से ही माता का सम्मान देकर हम खुश हो रहे हैं। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract