मुकम्मल कहां जिंदगी
मुकम्मल कहां जिंदगी
कुछ यादें किताबों में सिमट गई।
कुछ अरमान दिल में रह गए।
कुछ दिल की गहराई को छू गई तो,
कुछ ख्वाहिशों ने दम ही तोड़ दिया।
मुकम्मल कहां होती है जिंदगी
अधूरे सपने लेकर चलती है जिंदगी।
खट्टा मीठा सा सफर है यह
कुछ पाना है तो कुछ खोना है
पर यह सच है
अंत है तो आरंभ भी है।
मुकम्मल कहां होती है जिंदगी.....
एक नया साहस, एक नया विश्वास।
नई उर्जा लिए ये सवेरा
नई आस झांक रही खिड़की से।
उम्मीदों को जगा रही।
मुट्ठी में थाम लो इसे
यही है किरण रोशनी की।
मुकम्मल कहां होती है जिंदगी.....