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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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ना समझ अकेला

ना समझ अकेला

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ना समझ अकेला खुद को कभी,

हजारों आंखे तुझे देख रही हैं,

और कोई भी देखे ना देखे तेरी,

अंतरात्मा तुझे देख रही है।


कुछ भी करने से पहले जरा,

खुद में तु झांक लेना,

खुद से बड़ा ना कोई पारखी,

खुद को ही पहले परख लेना।


ईश्वर को ना तुम दोष देना,

उसने तुम्हे दिया है सब कुछ,

तुम में ही वह शक्ति नही है,

जो उसके दिए को समझ पाते।


अब भी समझ ले खुद को बंदे,

तुझ से बढ़कर कोई नही,

ईश्वर से बड़ा ना कोई दाता,

वह रखता है सबका खाता।


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